मनुष्य गौरव दिन-१९अक्टूबर १९२०
(पांडुरंग शास्त्री आठवले जन्मदिन)
अधः पतित हुई मनुष्य जाती
कफ़ल्लकता की चोटी पर थी।
आत्मनिष्ठा-ईशनिष्ठा से प्रेरित;
वो जीवन सुगंधी कर गए!
वो तेज पथ पर चल पड़े थे,
तो पांडुरंगी बन गए।
मनुष्य को ऋषिसंकल्प से जोड़
"भगवान तो तेरे भीतर"
यह गौरव खड़ा कर गए
तो पांडुरंगी बन गए।
"नाहं पशु ;अहम मनुष्य:"
आत्मसन्मान जागृत कर गए
वो तेज पथ पर चल पड़े थे,
तो पांडुरंगी बन गए।
"दूजा अब नहीं है दूजा;
वह तो तेरा भाई!"
सबंध बनाकर दैवी नाता,
परसन्मान का सिंचन कर गए,
वो तेज पथ पर चल पड़े थे,
तो पांडुरंगी बन गए।
वो तेज पथ पर चल पड़े,
तो पांडुरंगी बन गए।
गौरव मनुष्यों का साकार करने
वो यज्ञ बन कर जलते रहे,
आओ हम कहे साथ मिलकर
हे तेज पथ पर चलनेवाले
"अमृतस्य पुत्र"
दादाजी नमस्तुभ्यं।
दादाजी नमस्तुभ्यं।
-चेतन कोठावदे
(पांडुरंग शास्त्री आठवले जन्मदिन)
अधः पतित हुई मनुष्य जाती
कफ़ल्लकता की चोटी पर थी।
आत्मनिष्ठा-ईशनिष्ठा से प्रेरित;
वो जीवन सुगंधी कर गए!
वो तेज पथ पर चल पड़े थे,
तो पांडुरंगी बन गए।
मनुष्य को ऋषिसंकल्प से जोड़
"भगवान तो तेरे भीतर"
यह गौरव खड़ा कर गए
तो पांडुरंगी बन गए।
"नाहं पशु ;अहम मनुष्य:"
आत्मसन्मान जागृत कर गए
वो तेज पथ पर चल पड़े थे,
तो पांडुरंगी बन गए।
"दूजा अब नहीं है दूजा;
वह तो तेरा भाई!"
सबंध बनाकर दैवी नाता,
परसन्मान का सिंचन कर गए,
वो तेज पथ पर चल पड़े थे,
तो पांडुरंगी बन गए।
वो तेज पथ पर चल पड़े,
तो पांडुरंगी बन गए।
गौरव मनुष्यों का साकार करने
वो यज्ञ बन कर जलते रहे,
आओ हम कहे साथ मिलकर
हे तेज पथ पर चलनेवाले
"अमृतस्य पुत्र"
दादाजी नमस्तुभ्यं।
दादाजी नमस्तुभ्यं।
-चेतन कोठावदे