धुन बजाओ कुछ कान्हा ऐसी,
की मन पावन हो जाये...!!
सूर संगम कुछ कर दो ऐसा,
की तन स्वरगंगा मे नहाये..!!
शिश झुकाऊ चरणोमे तेरे
तो जीवन तेरा बन जाये!!
न आये कभी हमे निराशा
भले घना अंधेरा छा जाये
होंगे दुःख हजारो चारो ओर
चाहे गीरे हमपे तुफानी लेहर,
तू कृष्ण बनके सारथ्य कर
तू आशा बनके मनमें झलक
यही खुमारी है अब दिलमें;
की, 'तूही है संग हमारे',
है जटील यह संसार लेकीन;
जो तुम हो खडे, तो हम क्यो डरे?
- चेतन कोठावदे