Sunday, March 17, 2024

शेर सचेतन

बिखरती हुई रेत को व्यर्थ ही संभालने का प्रयास मत करो...(१)
बिखरणा अगर उसकी फितरत है तो ,रोकने का प्रयास ना करो...!(१)

कहा लिखा है जरा बताओ..?
जो हर वफ्त तुम्हारे साथ होते थे 
वो समशान तक भी साथ आयेंगे ?(२)
जीनको तुमने कुछ लम्हे दिये ,
शायद; वही तुम पर आखिर तक फिदा थे!(२)

-  शेर सचेतन
-चेतन कोठावदे ,
पुणे (MH१५/१२)

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